” यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिः भवति भारत,
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदा आत्मानं सृजामि अहम् |
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुस्-कृताम्,
धर्म-संस्थापन-अर्थाय सम्भवामि युगे युगे ||
” Yada yada hi dharmasya glaanirbhavati bhaarat
Abhyutthaanamadharmasya tadaatmaanam srijaamyaham
Paritranaay saadhunaam vinaashaay cha dushkritaam
Dharm sansthaapanaarthaay sambhavaami yuge yuge “
अर्थ – जो हुआ वह अच्छा हुआ
जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है
और जो होगा वह भी अच्छा होगा
तुम क्या लाये थे जो ले जाओगे
तुमने क्या पैदा किया जो नष्ट हो गया
जो आज तुम्हारा है वह कल किसी और का था
और कल किसी और का होगा
जैसा बोगे वैसा पाओगे
अपने कर्मों का फल यहीं भुगत कर जाओगे
जो हुआ वह अच्छा हुआ
जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है
और जो होगा वह भी अच्छा होगा